ऑपरेटिंग सिस्टम का परिचय
What is operating system ?
कंप्यूटर हार्डवेयर स्वयं हमारे लिए किसी भी काम को नहीं कर सकता है हमारी भाषा तथा विचारों को कंप्यूटर कभी भी किसी भी तरह से तब तक नहीं समझ सकता है जब तक कि उसे समझाने का कोई माध्यम हमारे पास ना हो उसे हमारे द्वारा बताए जाने वाले उपयोगी कार्य करवाने के लिए तथा हमारी आवश्यकता ओं को पूर्ति कराने के लिए एक मध्यस्थ की आवश्यकता थी जोकि आवश्यकताओं की जानकारी कंप्यूटर हार्डवेयर को समझा सके ऑपरेटिंग सिस्टम ऐसे ही मध्यस्थ की भूमिका निभाता है चलिए अब हम इसकी परिभाषा देख लेते हैं,
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है इसके प्रकार
Operating system की परिभाषा :
"ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) जिसे हम OS भी कहते हैं, एक ऐसा प्रोग्राम है जो एप्लीकेशन के एग्जीक्यूशन को नियंत्रित करता है ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) कहलाता है, और कंप्यूटर हार्डवेयर एवं कंप्यूटर उपयोगकर्ता के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है इसे हम ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) कहतें हैं"
ऑपरेटिंग सिस्टम को तीनों जरूरत को पूरा करने के लिए बनाया गया है,
सरलता: कंप्यूटर के उपयोग को ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा सरल बनाया गया है,
दक्षता: ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा कंप्यूटर सिस्टम के साधनों का कुशल तरीके से प्रयोग किया जा सकता है,
विकास की योग्यता: ऑपरेटिंग सिस्टम को इस तरीके से बनाया गया है जिससे इसके द्वारा नए कार्यों को कराया जा सके तथा इसके लिए ऑपरेटिंग सिस्टम में परिवर्तन आसानी से किए जा सके,
ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर उपयोगकर्ता और कंप्यूटर हार्डवेयर के बीच मध्यस्थ
ऑपरेटिंग सिस्टम प्रत्येक कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है कंप्यूटर सिस्टम को 4 अवयवों में विभाजित किया जा सकता है
3.यूजर
कंप्यूटर हार्डवेयर के अंतर्गत सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट सीपीयू मेमोरी और इनपुट आउटपुट डिवाइसेज आती हैं यह कंप्यूटर के मुख्य संसाधन है एप्लीकेशन प्रोग्राम के अंतर्गत कंपाइलर डाटाबेस सिस्टम गेम्स और बिजनेस प्रोग्राम आते हैं एप्लीकेशन प्रोग्राम के द्वारा कंप्यूटर के संसाधनों का उपयोग करके उपयोगकर्ता की समस्याओं को हल किया जाता है
ऑपरेटिंग सिस्टम रिसोर्स मैनेजर की तरह
कंप्यूटर सिस्टम में कई रिसोर्स होते हैं जैसे सीपीयू टाइम मेमोरी इनपुट आउटपुट डिवाइसेज इत्यादि एंड रिसर्च के उपयोग से समस्याओं का हल किया जाता है ऑपरेटिंग सिस्टम एंड रिसोर्ट के मैनेजर की तरह कार्य करता है ऑपरेटिंग सिस्टम एंड रिसोर्स को विभिन्न प्रोग्राम में बैठता है क्योंकि एक रिसोर्स की आवश्यकता एक से अधिक प्रोग्राम के लिए हो सकती है इन स्थितियों में ऑपरेटिंग सिस्टम निर्णय लेता है कि इस प्रोग्राम को रिसोर्स दिया जाए और किसे कुशल तरीके से कार्य करने दिया जा सके,
ऑपरेटिंग सिस्टम के विभिन्न सर्विस लिखिए
1.यूजर और कंप्यूटर के बीच मध्यस्थता
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
Types of operating system
3. मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम
4. मल्टीटास्किंग टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम
सीरियल ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?
1950 के दशक में वास्तव में कोई ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं था। किसी भी कार्य को करने के लिए प्रोग्राम और सीधे कंप्यूटर हार्डवेयर पर ही कार्य करते थे प्रत्येक सिस्टम में एक बोर्ड होता था जिसमें बल्ब स्विच इनपुट के लिए डिवाइस device तथा आउटपुट के लिए प्रिंटर printer का इस्तेमाल किया जाता था, प्रोग्राम प्रोग्राम को मशीन कोड में लिखता था और इसे किसी इनपुट डिवाइस के द्वारा मेमोरी में लोड करता था। यदि कोई अगर आती थी तो प्रोग्राम का एग्जिट इंसान रुक जाता था,
तथा Error को बल्ब के द्वारा दर्शाया जाता था, Error के कारण का पता लगाने के लिए प्रोग्रामर को विभिन्न रजिस्टर्ड तथा मेन मेमोरी की जांच करनी पड़ती थी, यदि प्रोग्राम का एग्जीक्यूशन बिना किसी आधार के पूरा होता था तब आउटपुट प्रिंटर के द्वारा प्रिंट हो जाता था,
इसके अंतर्गत प्रोग्रामर को मुख्यतः दो तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता था,
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शेड्यूलिंग
इनमें से पहली समस्या शेड्यूलिंग थी प्रोग्राम के एग्जीक्यूशन के लिए पहले ही मशीन की समय आप थी निश्चित करनी होती थी प्रायः 30 मिनट ओके गुणांक में प्रोग्राम को समय दिया जाता था। एक समस्या यह थी कि यह प्रोग्राम 30 मिनट में पूरा एग्जीक्यूट नहीं हो पाता था तो वह प्रोग्राम के उद्देश्य को पूरा किए बिना ही रुक जाता था, अर्थात यहां पर यह मतलब नहीं था कि प्रोग्राम पूरा हुआ है या नहीं वह 30 मिनट की समयावधि के बाद स्वयं को रोक लेता था,
सेटअप टाइम
प्रोग्राम का एग्जीक्यूशन करने के लिए आवश्यक कार्यक्रम में किए जाते थे जैसे अकेले प्रोग्राम के लिए कंपाइलर तथा प्रोग्राम को मेमोरी में लोड किया जाता था इसके बाद कंपाइलर द्वारा कंपाइल किए गए प्रोग्राम को स्टोर किया जाता था, और इसके बाद ऑब्जेक्ट प्रोग्राम तथा अन्य जरूरी फंक्शन की लोडिंग तथा लिंकिंग का कार्य किया जाता था। पता बहुत सहारा समय प्रोग्राम को एकजुट करने के लिए सेट अप करने के लिए ही रह जाता था।
बैच ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?
शेड्यूलिंग और सेटअप टाइम के कारण होने वाली समय की बर्बादी को रोकने के लिए बैच ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता था जिसे मॉनिटर कहा जाता है इस ऑपरेटिंग सिस्टम में उपयोगकर्ता सीधे कंप्यूटर हार्डवेयर पर कार्य नहीं करता था बल्कि वह एक जॉब तैयार करता था , यह जॉब प्रोग्राम कोड डाटा और जॉब की प्रकृति के बारे में जानकारी से मिलकर बना होता था उपयोगकर्ता इस जॉब को कंप्यूटर ऑपरेटर को देता था कंप्यूटर ऑपरेटर समान आवश्यकताएं वाले जॉब के समूह बनाता था
और कंप्यूटर के उपलब्ध होने पर कंप्यूटर ऑपरेटर इन समूहों को रन करता था यदि कंप्यूटर ऑपरेटर के पास तीन प्रोग्राम A,B और फिर से A है तब अगर वह नहीं इसी क्रम में एग्जीक्यूट करता तो इसे सबसे पहले A के लिए सेट अप करना होगा फिर B के लिए सेट अप करना होगा और अंत में पुनः A के लिए इसे सेट अप करना होगा,
यदि वह दोनों ही A का काम को एक साथ कर दें और फिर भी का काम करें तो ऐसे में उसके समय की बजट होने की संभावना ज्यादा है ,
यहां पर ऑपरेटिंग सिस्टम अर्थात मॉनिटर एक बहुत साधारण प्रोग्राम था जिसका मुख्य कार्य कंट्रोल को एक जॉब से दूसरे जॉब पर पहुंचाना था,
Operating system का एक हिस्सा मेन मेमोरी में रहता था तथा एग्जीक्यूशन के लिए उपलब्ध रहता था बाकी बचा हुआ ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगी प्रोग्राम फंक्शन से बना था जो आवश्यकता होने पर मेन मेमोरी में subroutines की तरह ऐड किया जा सके,
ऑपरेटिंग सिस्टम इनपुट डिवाइस से एक बार में एक प्रोग्राम को पड़ता है पढ़ने के बाद इससे यूजर प्रोग्राम एरिया में लीड का आता है और इस जॉब पर कंट्रोल को पहुंचाता है जैसे ही है जॉब पूरा होता है वह कंट्रोल को ऑपरेटिंग सिस्टम को वापस कर देता है ऑपरेटिंग सिस्टम अगले जॉब को पड़ता है आउटपुट दिखाई देता है जिसमें प्रोग्राम का परिणाम होता है तथा की स्थिति में मेमोरी और रजिस्टर के मान भी आउटपुट में होते हैं,
परंतु इस सिस्टम में एक समस्या थी की सीपीयू एग्जीक्यूशन के समय बहुत समय तक कोई कार्य नहीं करता था क्योंकि जब input output device से संबंधित कार्य होता था तब सीपीओ कोई कार्य नहीं करता था इसके अलावा सीपीयू एक इनपुट आउटपुट डिवाइसेज भी बहुत अधिक अंतर होता है इस समस्या को हल करने के लिए जॉब के एग्जीक्यूशन होते समय इनका इनपुट डिवाइस से पढ़ने की के बजाए पहले से ही डाटा को इनपुट डिवाइसेज से पढ़कर डिस्क में रख दिया जाता था
मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?
Multiprograming Operating System in Hindi
यद्यपि बैच ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा शेड्यूलिंग की समस्या को हल किया गया था परंतु फिर भी प्रोसेसर बहुत समय तक कोई कार्य नहीं कर सकता था समस्या यह थी कि इलेक्ट्रॉनिक प्रोसीजर की तुलना में mechanical input output devices धीमी गति से कार्य करती थी इस क्षमता को दूर किया जा सकता है यद्यपि एक्सीडेंट प्रोग्राम को मेमोरी में रखें। मानव मेन मेमोरी में ऑपरेटिंग सिस्टम तथा दो अन्य प्रोग्राम A और B के लिए जगह है अब यदि A को input output device के लिए निरंतर इंतजार नहीं कर रहा है तो एग्जीक्यूट कर सकता है, पहले यदि यह के लिए इंतजार कर रहा था तो अब यह बी के लिए इंतजार कर रहा होगा तब प्रोसेसर बी का एग्जीक्यूशन शुरू कर सकता है यदि दोनों एक और भी इनपुट आउटपुट के लिए इंतजार कर रहे हैं तब प्रोसेसर सी का एग्जीक्यूट कर सकता है
Multitasking Operating System
मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?
टाइम शेयरिंग सिस्टम मैं कंप्यूटर के रिसोर्स को विभिन्न प्रोग्राम को टाइम स्लाइस के आधार पर दिया जाता है। इसमें सीपीयू के द्वारा कई जॉब्स में से एक जॉब को एग्जीक्यूट किया जाता है तथा सीपीयू का एक जॉब दूसरे जॉब पर पहुंचाना बहुत जल्दी-जल्दी होता है तथा उपयोग करता है जी की मिशन के दौरान प्रत्येक प्रोग्राम का निरीक्षण कर सकता है,
कंप्यूटर में डाटा के इनपुट के लिए कीबोर्ड का उपयोग किया जाता है तथा आउटपुट के लिए स्क्रीन का उपयोग किया जाता है जब उस Command का execution पूरा करता है तब उपयोगकर्ता Keyword से दूसरे Command के लिए इंतजार करता है, उपयोगकर्ता एक Command देता है और उत्तर के लिए प्रतीक्षा करता है और पिछले Command के परिणाम के आधार पर अगला Command देता है,
Multiprocessing system or parallel system in Hindi
मल्टिप्रोसेसिंग सिस्टम या पैरेलल सिस्टम क्या है ?
इस प्रकार के सिस्टम में कई प्रोसेसर होते हैं जो एक ही bus , clock, memory, input & output device का उपयोग करते हैं। इस प्रकार के सिस्टम को parallel computers या multi computers multiprocessors कहते हैं, क्योंकि इनमें एक से अधिक प्रोसेसर peripheral devices का उपयोग करते हुए एक से दूसरे के साथ जानकारियों का आदान प्रदान करते हैं, एक ही समय में कई प्रोग्राम को एग्जीक्यूट करने की क्षमता को मल्टिप्रोसेसिंग कहा जाता है ऐसे सिस्टम मैं अलग-अलग सीपीयू के द्वारा अलग-अलग प्रोग्राम के निर्देशों को एग्जीक्यूट किया जाता है,
इसके दो प्रकार होते हैं
•सममित मल्टी प्रोसेसिंग
•असममित मल्टी प्रोसेसिंग
सममित मल्टी प्रोसेसिंग :
ऐसी मल्टिप्रोसेसिंग जिसमें प्रत्येक परिसर के पास अपनी स्वयं की ऑपरेटिंग सिस्टम की प्रतिलिपि होती है तथा आवश्यकता होने पर यह प्रतिलिपि या एक दूसरे से जानकारियों का आदान प्रदान करती है सममित मल्टिप्रोसेसिंग कहलाती है,
असममित मल्टी प्रोसेसिंग :
ऐसी मल्टिप्रोसेसिंग जिसमें प्रत्येक प्रोसीजर को एक विशिष्ट कार्य दिया जाता है अमित मल्टिप्रोसेसिंग कहलाती है इसमें प्रोसेसर के बीच master-slave का संबंध होता है मास्टर प्रोसेसर प्रोसेसर को कार्य देता है,
डिस्ट्रीब्यूटेड सिस्टम क्या है ?
Distributed System in hindi
कंप्यूटर के क्षेत्रों में आजकल गणना करने के लिए कार्य को कई प्रोफेसरों के बीच में बांटा जाता है। इनमें प्रत्येक प्रोसेसर की अपनी मेमोरी होती है, और यह प्रोसेसर संचार के विभिन्न साधनों जैसे टेलीफोन लाइन सेटेलाइट इत्यादि के द्वारा एक दूसरे से डाटा का आदान प्रदान करते हैं अतः यह कहा जा सकता है की डिस्ट्रीब्यूटर सिस्टम नेटवर्क पर आधारित एक सॉफ्टवेयर सिस्टम है, Distributed Operating system का मुख्य कार्य कई स्वतंत्र कंप्यूटर की उपस्थिति को छुपाना होता है और यह एक काल्पनिक अकेले प्रोसेसर वाले कंप्यूटर का आभास कराता है अगर साधारण शब्दों में कहा जाए तो डिस्ट्रीब्यूटर सिस्टम का मतलब ही यह होता है कि एक डाटा को सभी जगह पर बांट देना और फिर एक सिस्टम के बंद होने पर दूसरे Server से उसी डाटा को एक्सेस करना
रियल टाइम प्रोग्राम एक ऐसा प्रोग्राम है जिससे घटनाओं का एक निश्चित समय के अंतराल में उत्तर जरूर देना चाहिए और रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जो रियल टाइम प्रोग्राम्स को सफलतापूर्वक रन करता है तथा सिस्टम को एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाया जाता है इस ऑपरेटिंग सिस्टम में समय मुख्य बिंदु होता है किसी भी अनुप्रयोग में इसका कार्य निश्चित समय सीमा में पूरा होना चाहिए इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम वाले सिस्टम पर आया कंट्रोल करने वाले उपकरण की तरह उपयोग किए जाते हैं,
रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम में पहले से निर्धारित एक निश्चित समय सीमा होती है तथा इस समय सीमा में ही पूरा कार्य हो जाना चाहिए अन्यथा सिस्टम को असफल माना जाता है,
इसके मुख्यतः दो प्रकार माने जाते हैं
हार्ड रियल टाइम
इसमें प्रत्येक कार्य के लिए एक निश्चित समय सीमा होती है तथा ऑपरेटिंग सिस्टम इस समय सीमा में उस कार्य को पूरा करता है जैसे यदि एक रोबोट का कार पर वेल्डिंग करना ही काम है और यदि वह वेल्डिंग बहुत जल्दी आ बहुत देरी से करता है तो कार की बॉडी क्षतिग्रस्त हो सकती है अतः रोबोट को वेल्डिंग का समय एक निश्चित कर लेना चाहिय ,
सॉफ्ट रियल टाइम
कई ऐसे सिस्टम होते हैं जिनमें कुछ कार्य का समय सीमा में पूरा ना होना स्वीकार होता है जैसे इस बात की गारंटी देना असंभव है कि सेकेंडरी मेमोरी का रीड एवं राइट का कार्य एक निश्चित समय सीमा में पूरा होगा या सेकेंडरी मेमोरी का व्यवहार अनिश्चित होता है इनका समय पर पूरा होना जरूरी नहीं होता,
ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता क्यों होती है?
ऑपरेटिंग सिस्टम का प्राइमरी फंक्शन क्या है?
पहला ऑपरेटिंग सिस्टम कौन सा था?
पहला ऑपरेटिंग सिस्टम कब विकसित किया गया था?
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