भारत में पिछले कुछ समय से यह बहुत प्रचलन में चल रहा है और इसका आयोजन हर साल नागालैंड में किया जाता है क्या है फेल कॉर्न फेस्टिवल आज हम इसके बारे में सब कुछ विस्तार से जानेंगे और इसे क्यों बनाया गया इस बारे में भी आगे हम बात करेंगे,
यह एक प्रकार की बाज की जाती है जो बहुत ही ऊंचाई से अपने शिकार को देखने और हमला करने के लिए जानी जाती है,
यह अपनी उड़ान की गति को 110 किलोमीटर प्रति घंटा तक कर सकते हैं यह इनकी कोई खास बात नहीं है क्योंकि ऐसा तो अन्य पक्षी भी कर सकते हैं परंतु इनकी खास बात यह है कि यह 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से आसमान की बेहद ऊंचाई से अपने शिकार के ऊपर हमला कर सकते हैं और उसे वहीं पर मार कर नीचे गिरा सकते हैं, आगे हम इनकी कुछ खूबियों के बारे में भी बात करेंगे, यह अपने शिकार पर हवा से चीरते हुए शिकार करते हैं और तुरंत ही उन्हें नीचे की ओर गिरा देते हैं,
Amul Falcon Image |
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इनकार रंग हल्का भूरा होता है परंतु इनके सिर का रंग काला होता है सोच इनकी ब्राउन कलर की होती है जिसके साथ ही इनके पंजों की पकड़ बहुत मजबूत होती है इन के पंजों में रहने वाले नाखून एक से डेढ़ सेंटीमीटर तक होते हैं जो कि अपने शिकार का गला घोटने के लिए काफी है यह पक्षियों का ही शिकार करते हैं वैसे तो इनका आकार बहुत बड़ा माना जाता है परंतु यह फिर भी अपने से बड़े शिकार की जान लेने में सक्षम है,
फाल्कन का नाम अमूर फॉल्कन कैसे पड़ा ?
How did the Falcon get its name from the Amur Falcon?
दरअसल यह जब अपने मार्ग पर निकलते हैं तो बीच में जब यह भारत के नागालैंड में स्थित एक गांव में कुछ समय के लिए विश्राम करते है, परंतु यह पक्षी जहां से आते हैं वह जगह के नाम पर इनका नाम अमूर फाल्कन पड़ा है दरअसल यह रूस और चीन की सीमा में स्थित एक नदी जिसका नाम अमूर नदी है यह पास इनका प्रवास होता है जिसके कारण इनका नाम अमूर फाल्कन पड़ा,
अमूर फाल्कन भारत में कब तक रहते हैं?
How long do Amur falcons live in India in hindi
यह पक्षी भारत में हर साल अक्टूबर के अंत में आते हैं जबकि ठंड हल्की ही चालू होती है और कुछ समय यह भारत में निवास करते हैं यह प्रवासी पक्षी नागालैंड के एक गांव में जिसका नाम पंगती है यहां पर एक जलाशय है जिसका नाम दोयंग जलाशय है, कुछ समय के लिए यहां निवास करते हैं और इसके बाद यह भारत से दक्षिण अफ्रीका के लिए हिंद महासागर के ऊपर से होते हुए निकल जाते हैं,
फॉल्कन पक्षी की कुछ खास विशेषताएं
Special Features of Falcon Birds in hindi
•, यह लगातार 120 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं इसमें इन्हें किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं होती
•यह एक बार में ही लगातार उड़ान भरकर 5000 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय कर सकते हैं,
•यह एक उड़ान में ही हिंद महासागर जैसे बड़े सागर को पार कर सकते हैं,
•यह अत्यधिक ऊंचाई पर उड़ान भर सकते हैं और वहां से अपने शिकार के ऊपर आसानी से हमला कर सकते हैं
•जब यह अत्यधिक ऊंचाई पर होते हैं तो नीचे स्थित इनके शिकार तक पहुंचने के लिए इनकी रफ्तार वर्टिकली 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच जाती है जो कि किसी अन्य पक्षी के लिए संभव नहीं है,
अमूर बाज़ की राजधानी किसे माना जाता है
Which is considered the capital of the Amur falcon in hindi
यह हर साल मंगोलिया से दक्षिण अफ्रीका की उड़ान के दौरान दोयांग झील पर ठहरते है। नागालैंड के पंगती नामक गाँव को विश्व की अमुर बाज़ राजधानी माना जाता है।
फेलकॉन फेस्टिवल क्या है
What is Falcon Festival in hindi
फेलकॉन फेस्टिवल एक ऐसा फेस्टिवल है जो कि भारत में आने वाले फेलकॉन के संरक्षण के लिए चालू किया गया था और बाद में इसे बहुत ही अच्छे रूप से लोगों को जागरूक करने और पक्षियों को बचाने के लिए लागू किया गया,
दरअसल आज से 10 साल पहले फेलकॉन पक्षियों की बहुत ही ज्यादा की तादाद में हत्या की जाती थी शिकारी अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में ही फेलकॉन पक्षियों का शिकार करने के लिए पहुंच जाते थे जिसके कारण इनका संरक्षण बहुत ही ज्यादा आवश्यक हो गया था क्योंकि यह पहले भारत में लाखों की तादाद में पहुंचते थे और इनका 10 से 12% शिकार शिकारियों द्वारा कर लिया जाता था,
सामुदायिक लोगों द्वारा निर्दयता से पक्षी का शिकार |
फेलकॉन का संरक्षण कैसे प्रारंभ हुआ ?
How did Falcon's patronage start In Hindi
बानो(एक नाम), जो नागालैंड के नामी परिवार से सम्बन्ध रखती हैं, उन्होंने नेताओं और सरकारी कर्मचारियों को इन पक्षियों की हत्याओं पर रोक लगाने के लिए राजी कर लियाI इसी समय, स्थानीय लोगों के बीच काम करना शुरू कर दिया, और उन्हें यह बताया गया कि पक्षियों की हत्या गलत है, उनकी यह गलत और उनका और राज्य का नाम बदनाम कर रही हैI उनके गहन प्रयास रंग लाए और 2013 में पंगती गाँव की पंचायत और पड़ोसी गाँवों ने अमूर फाल्कन के शिकार को अवैध और दंडनीय बनाते हुए एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किएI
इसी पंक्ति में नागालैंड का लोकल समूह भी इन्हें संरक्षण के पक्ष में आया और इन्हें नागालैंड की एक धरोहर माना
इसकी वजह से ‘फ्रेंड्स ऑफ द अमूर फाल्कन’ अभियान बना जिसने स्थानीय समुदाय में संरक्षण प्रयासों के प्रति स्वामित्व की भावना जगाईI
स्थानीय स्कूलों में बच्चों को सिखाने के लिए विशेष पाठ जिसमें अमूर फाल्कन के बारे में और इस पक्षी को बचाना क्यों ज़रूरी है, शुरू किए गएI 2013 में पक्षियों का शिकार पूरी तरह से रुक गयाI
फेलकॉन फेस्टिवल क्यों मनाया जाता है ?
Why is the Falcon Festival celebrated?
फेलकॉन फेस्टिवल एक तरह का फेस्टिवल है जो कि भारत के नागालैंड में मनाया जाता है यह फेलकॉन पक्षियों के संरक्षण के लिए चालू किया गया था जिसे आज के समय में काफी अच्छे रूप में मनाया जाता है यह नागालैंड के ही पंक्ति नामक गांव में मनाया जाता है,
फेलकॉन फेस्टिवल की कुछ खास बातें
Some highlights of the Falcon Festival
नागालैंड में होने वाला यह फेलकॉन फेस्टिवल वहां के सामुदायिक लोगों और वह महिला बानो जिसने इन्हें संरक्षण करने के लिए का आवाज उठाई की एक खास पहल के कारण ही संभव हो सका है
फाल्कन पक्षी कहा से कहा तक सफर करते हैं?
Where do falcon birds travel?
शिकारी पक्षी दक्षिणी-पूर्वी साइबेरिया और उत्तरी चीन में प्रजनन करते हैं, और मंगोलिया और साइबेरिया लौटने से पहले पक्षी प्रजाति में सबसे लम्बे 22,000 किलोमीटर के प्रवासी मार्ग को पूरा करते हुए लाखों की तादाद में भारत और फिर हिन्द महासागर से दक्षिणी अफ्रीका चले जाते हैंI
जिसके कारण नागालैंड सरकार के पर्यटन विभाग की पहल है, चिड़ियों को देखना, प्रकृति की यात्रा, प्राकृतिक फोटोग्राफी, वन्यजीवन आधारित फिल्मों को दिखाना, स्थानीय सांस्कृतिक आयोजन और खेल, पारंपरिक हत्कर्घा और शिल्प की प्रदर्शनी, जोखिम भरे खेल, संगीत और खाने के त्यौहार, पहाड़ों पर चढ़ना, नौका विहार और ऐसी ही कई गतिविधियाँ शामिल हैं,
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